लहर को प्यास से क्याकुछ पत्रिकाएं दीवाली पर साहित्य के ख़ास अंक भी निकाला करती थीं। "सबरंग" के कहानी विशेषांक के लिए नई कहानी ढूंढने के लिए एक दिन मैंने तय किया कि मैं एक रात मुंबई की चौपाटी पर ही रहूंगा।मैं मरीन ड्राइव से पैदल ही समुद्र के किनारे चल कर चौपाटी की ओर जाने लगा। सामने दूर मालाबार हिल्स की जगमगाती रोशनियां अठखेलियां कर रही थीं।मुझे मेरा एक मित्र भी बोला था कि वो शनिवार की रात मेरे साथ चौपाटी पर घूमने अा जाएगा।निर्धारित समय पर हम अपने कॉलेज के दिनों में मिलने का अड्डा रहे एक ज्यूस