होने से न होने तक 1. एम.ए. का रिज़ल्ट निकला था। मैं यूनिवर्सिटी जा कर अपनी मार्कशीट ले आई थी। पैंसठ प्रतिशत नम्बर आए हैं। इससे अधिक की मैंने उम्मीद भी नहीं की थी। इससे अधिक मेहनत भी नहीं की थी। अपनी डिवीज़न और नम्बरों से मैं संन्तुष्ट ही थी। किन्तु जब सुना था कि डिपार्टमैन्ट में मुझसे अधिक सिर्फ एक लड़के के नम्बर हैं तब बुरा लगा था। अपने ऊपर झुंझलाहट भी हुयी थी कि थोड़ी सी मेहनत और कर ली होती तो फर्स्ट पोज़ीशन आ जाती। पर चलो कुछ तो है ही, फिर बुरा भी नहीं। मैंने यश