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कविता हर वर्ष की भांति दीदी के घर सर्दियों की छुट्टियां बिताने जा रही थी ।यही वह समय होता था जब वह फुर्सत से अपने बीमार पिता और मां के संग कुछ समय बिताती थी । उच्च पदासीन दीदी जीजाजी के घर में किसी भी प्रकार की कोई कमी न थी और कविता के लिए वो किसी रिजोर्ट से कम न था ।एक साधारण परिवार में जन्मी और साधारण परिवार में विवाहित कविता के लिए बैग में कपड़े रखना एक महाभारत ही था।"कविता ,तीन दिन से एक बैग नहीं लगा। आखिरकार ऐसी कौन सी पैकिंग कर रही हो",सुरेश ने एक