रिसते घाव (भाग १०)

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सुबह के दस बज रहे थे । रागिनी रसोई में सुबह के खाने की तैयारी में जुटी हुई थी । राजीव आज जल्दी ही ऑफिस को निकल चुका था । आकृति थोड़ी देर पहले ही कॉलेज जाने को निकल चुकी थी ।श्वेता अभी भी नींद के आगोश में समाई हुई थी । रागिनी का ध्यान बार बार थोड़ी देर से श्वेता के मोबाइल पर बार बार आ रहे मैसेज की वजह से रही आवाज की तरफ जा रहा था । रागिनी श्वेता के ऑफिस से आने के बाद से उसके व्यवहार को लेकर आंशकित सी थी । न जाने क्यों