रात का सूरजमुखी - 12 - अंतिम भाग

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रात का सूरजमुखी अध्याय 12 खुशी के मारे बापू की सांस फूलने लगी। "अप्पा..... यह...ये....!" "यह शांता ही है। तुम्हें रास्ते पर लाने के लिए हम लोगों ने इस नाटक का प्लान किया। इंस्पेक्टर कोई और नहीं है ! अपने राघवन का ही दोस्त है। शांता को मैं जानता ही नहीं तुम्हारे जिद करने के कारण इस स्थिति में तुमसे उसकी शादी कर देते तो शांता का जीवन नर्क हो जाता ऐसा सोचा मैंने और तुम्हारे भाई ने..... शांता के बड़प्पन को तुम्हें कैसे समझाएं सोचा....फिर हत्या के नाटक का अभिनय किया। इस नाटक का अभिनय करवाने वाले राघवन के