परियों का पेड़ - 23 - अंतिम भाग

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परियों का पेड़ (23) लालच का परिणाम राजू ने एक बार फिर पिताजी से बहुत कड़ा विरोध किया – “पिताजी ! इस पेड़ को मत काटो | ये देखो, ये पेड़ से बहता हुआ पानी नहीं, बल्कि परियों के आँसू है | ये पेड़ कटने से परियाँ दुखी हैं | वे नाराज हो जायेंगी |” लेकिन पिता ने अब भी राजू की एक बात न सुनी | कुल्हाड़ी चलती गई | दरवाजे के निशान वाला हिस्सा पूरा कट गया | लेकिन दरवाजा खुलना तो दूर, पेड़ के तने में भीतर जाने वाले रास्ते का कोई चिन्ह तक नहीं मिला |