परियों का पेड़ (21) परी ! तुम ऐसी क्यों हो ? परी रानी आगे भी बताती रही – “ ...तो उस युग में भी परियों की प्रगति और खुशियों से ईर्ष्या रखने वालों की कमी न थी | हमारे जैसी थोड़ी बहुत शक्तियाँ रखने वाले कुछ लोग जिन्हें हम शैतान राक्षस और दुष्ट जादूगर कहते हैं , वे हम सबको पकड़कर हमें बहुत कष्ट देते थे और हमारी उन्नत शक्तियाँ छीनने का प्रयास करते रहते थे | हम उन सबके कारण बहुत दुखी रहते थे |” “आपके पास भी तो बहुत शक्तियाँ हैं | आप सभी उन दुष्ट लोगों से