परियों का पेड़ (14) परीलोक का द्वार फिर राजू की यह हालत देखकर बौनों ने एकबारगी ही अपनी हँसी रोक दी | जैसी किसी गाड़ी के पहिये ‘इमरजेंसी ब्रेक’ लगाकर रोक दिये गये हों | इस अनपेक्षित हँसी का दौर एकाएक ही रुक जाने से वहाँ कुछ देर को अनपेक्षित सन्नाटा सा छा गया | अब तक तीनों बौने एक के पीछे एक सावधान की मुद्रा में खड़े हो गये थे | एकदम चुप शान्त | शून्य की ओर कान लगाये हुए, जैसे किसी का संकेत या आदेश समझने का प्रयास कर रहे हों | राजू समझ ही नहीं पाया