पी.के. (4) सुमन और डॉ. तनेजा की मुलाकातें बढ़ने लगी थीं. सुमन के लाइब्रेरी जाना शुरू करने के बाद वह घर के बजाय उसके ऑफिस में मिलने जाने लगा था. पीके लंच के लिए प्रति दिन घर जाता था एक बजे और डेढ़ बजे लौट आता था. यह उसकी पुरानी आदत थी, जबकि सुमन लंच लेकर जाती थी. एक दिन बच्चों की बस सुबह आठ बजे स्टैंड पर पहुंची. आठ बजे पीके को लाइब्रेरी खोलवानी होती थी. बच्चों को छोड़कर वह सीधे लाइब्रेरी की ओर दौड़ा और काम में इतना व्यस्त हुआ कि अपनी दूसरी चाबी लेने जाने का उसे