मासूम गंगा के सवाल - 4

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मासूम गंगा के सवाल (लघुकविता-संग्रह) शील कौशिक (4) उदारमना करोड़ों लोगों के सपनों को सुनती हो तुम हाथ जोडकर कोई कुछ भी मांगता है कर लेती हो स्वीकार सहजता से उनकी प्रार्थना थमा कर उन्हें आस का दामन अपनी ऊर्जा से आपूरित करने वाली कितनी उदारमना हो तुम गंगाI ऐसे मिला उत्तर जीवनदायिनी गंगा के तट पर कुछ लोग अधनंगे भिखमंगे क्यों हैं? प्रश्न उठा मेरे मन में एक तेज लहर टकराई मेरे पैरों से बचाव के लिए पकड़ ली मैंने सांकल करना होता है कर्म सभी को मिल गया था मुझे उत्तरI दरियादिली गंगा की अपनी