नमस्कार दोस्तों मेरी रचनाओं को पढ कर अपने किमती अभिप्राय अवश्य दें। और यदि कोई शति हुई हो तो भी मेरा योग्य मार्गदर्शन करें। आपकी दोस्त - गीता परमार.. ******"मेरे दिल केे अल्फाज़ "मेरे दिल के अल्फाज़ो को कागज पर उतारा है मैंने , आज फिर दिल की गहराईयों से तुमको पुकारा है मैैंने , एक तेरे लिये ही अपना ये रुप संवारा है मैंने , तेरे लिये ही तो इस धरती पर स्वर्ग उतारा है मैंने , तुम्ही पर ही तो अपना सब कुछ वारा है मैैंने , सिर्फ तुम्हारे आगे ही तो अपना ये दिल हारा है मैैंने , बरसों तलक तेरे बिना तन्हा सफर गुजारा