इश्क़ 92 दा वार - 6

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उदाशिया भी अब मजमागार हों चली थी......!चाहतो की बेचेनिया मज़बूरिया मचलने लगी थी... !!कहते हैं ना दिल जब बेचैन हों तो क्या अच्छा लगता हैं मन में सूना पन और दिल उदास लगता हैं ठीक यहीं हाल मनु का था... लेकिन अपने दिल और दिमाग़ के हालातों को किसी से बया भी तो नहीं कर सकता था हालत ए ज़िगर किस कदर हों चला था कि मनु ने बिस्तर पकड़ लिया.... अनु के पिता की आज तेरहवीं थी.... गंगा भोज का आयोजन की रस्में अयादगी चल रही थी मेहमानों के आवागमन का सिलसिला जारी था.... इन दिनों अनु के नजदीक जावेद ज्यादा