एबॉन्डेण्ड - 7

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एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 7 युवक ने बड़ी फुर्ती से एक पैकेट उसे थमा दिया। मगर युवती कहां मानने वाली है। कह रही है, ‘नहीं, मैं अकेले नहीं खाऊंगी, तुम भी लो।’ अब दोनों ही कुछ खा रहे हैं। युवती खाते-खाते ही लेट गई है। सिर युवक की जांघों पर रख दिया है। दोनों फुसफुसाते हुए कुछ बातें भी कर रहे हैं। जो सुनाई नहीं दे रही हैं। बीच-बीच में एक-दूसरे को प्यार करते-करते दोनों जल्दी ही उसी में खो गये हैं। दोनों के प्यार की नज़र इतनी तेज़ है कि उन्हें लाइट की जरूरत ही नहीं पड़ी। बड़ी