दिन ठीक-ठाक ही निकल रहे थे बड़े भैया के पास अगर कुन्ती वो कान्ड न कर डालती......! हुआ ये कि भैया अपने सरकारी काम से झांसी गये. वहां से भाभी, सुमित्रा जी और कुन्ती के लिये साड़ियां ले आये. तीनों साड़ियां लगभग एक जैसी सुन्दर थीं. भाभी की साड़ी देख अनायास ही सुमित्रा जी के मुंह से निकला- ’आहा..... इसका आंचल कितना सुन्दर है!!’ अगले ही दिन जब सुमित्रा जी अपनी बड़ी बेटी-मुनिया को नहला रही थीं तब कुन्ती अपने पल्लू में कुछ छुपा के लाई. ’सुनो