कर्म पथ पर Chapter 19वृंदा ने वैसे ही क्रोध से मदन को देखा। ये कैसा मज़ाक है मदन ? मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी। मदन ने बड़ी गंभीरता के साथ जवाब दिया। मैं इतने गंभीर विषय को मज़ाक में नहीं ले सकता हूँ। मैंने जो कहा वह एकदम सच है। वृंदा अभी भी तमतमाई हुई थी। वो बिगड़ैल रईसज़ादा हमारी लड़ाई का सिपाही बनेगा ? तुमने ही तो कहा था कि जो सच्चे मन से आना चाहे उसका स्वागत है। उसने भी सच्चे