में ओर मेरे अहसास भाग-७ घर में सब कैद है लोग मेरे शहर के lपिंज मे बंध है लोग मेरे शहर के ll साँस लेने से भी डर गया है इन्सांन lदेख के दंग है लोग मेरे शहर के ll जिंदा रहने की कोई वज़ह भी नहीं है lस्वयं से तंग है लोग मेरे शहर के ll ****** तस्वीर देख कर जी नहीं भरता lरुबरु मिले तो कोई बात बने ll ****** इन्सांन सिर्फ कठपुतली है खुदा की lवो जब चाहे जैसे चाहे खेल लेता है llखुद को तीसमारखाँ ना समज तू lसब से बड़ा उपरवाला है lसब की दौर