(समय शाम के 7:00 बजे सुनामी और रंजीत अपने कमरे में बैठे हुए हैं, और आपस में बातें कर रहे हैं) सुनामी:- अच्छा हुआ जो उस मनहूस को भगा दिया यहां से, अब तू देखना, मैं कैसे धूमधाम से तेरी दूसरी शादी करवाती हूं, खन्ना साहब की बेटी शादी लायक हो गई है, दहेज भी खूब मिलेगा, में बात करती हूं उनसे, लेकिन अगर वो मनहूस कहीं वापस आ गई तो हमारा बना बनाया सारा खेल ही बिगड़ जाएगा| रंजीत:- तू फिकर मत कर मां इस बार मैंने उसे इतनी मांग की है, कि वह अगले जन्म तक इंतजाम नहीं