जो घर फूंके अपना - 15 - सरकारी ठाठ बाट की बात ही कुछ और है.

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जो घर फूंके अपना 15 सरकारी ठाठ बाट की बात ही कुछ और है. "और फिर इलाहाबाद जाकर लड़की देखने की तय्यारियाँ शुरू हो गईं. ” कायदे से तो मेरी कहानी की पिछाड़ी को देखते हुए उसकी अगाडी यही होनी चाहिए थी, पर ऐसा हुआ नहीं. बात ये थी कि लड़की इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एम ए की छात्रा थी. उसकी फ़ाइनल परीक्षा अभी महीनों दूर थी. लड़की वाले तेज़ लोग लगते थे. मुझे लगाए-बझाए भी रखना चाहते थे और साथ ही ये भी कहते थे कि कोई जल्दी नहीं है, कभी भी फुर्सत से देखना दिखाना हो जाएगा. विवाह फ़ाइनल