दास्ताँ ए दर्द ! 10 खाना-पीना समाप्त हुआ, सब अपने-अपने गंतव्य की ओर बढ़ चले | कुछ स्त्रियाँ अपनी गाड़ी से आईं थीं, अधिकांश को वही गाड़ी छोड़ने जा रही थी जो उन्हें लेकर आई थी | प्रज्ञा ने भी सबको धन्यवाद दिया और वापिस आने के लिए दीक्षा बहन की गाड़ी में बैठ गई | आई तो थी यहाँ कुछ जानने, समझने, कुछ बदलाव के लिए पर जो बदलाव उसे मिला उसमें वह और अधिक असहज हो गई | एक मानसिक गहराती बदली उसके मन में डेरा डालकर उमड़ घुमड़ करने लगी | "क्या बात है, आप यहाँ आकर बहुत चुप हो गईं