कभी अलविदा न कहना डॉ वन्दना गुप्ता 11 अगला सप्ताह काफी व्यस्तता में गुजरा। मैंने राजपुर में शिफ्ट कर लिया। रेखा और अनिता के साथ होम शेयर कर मैं रिलैक्स महसूस कर रही थी, लेकिन खुश नहीं थी। चूँकि वे दोनों एक दूसरे के साथ कंफर्टेबल थीं और मुझे कभी कभी दाल में कंकर वाला फील करवा देतीं थीं। अब अप डाउन डेली न होकर वीकली हो गया था। सुनील से मुलाकात तो हुई थी, किन्तु बात कोई खास नहीं... अलका दी भी चुप थीं और अंकु की बोर्ड परीक्षा शुरू हो गयी थी, तो घर पर भी माहौल अभी शांत था।