कशिश - 31

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कशिश सीमा असीम (31) पारुल और राघव कमरे में आ गए थे ! आज राघव में उसे अपने गले से लगते हुए कहा क्या तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है जो हर समय तेरी नजरे सवाली बनी रहती हैं ? हाँ है न, लेकिन तब, जब तुम मेरे करीब होते हो तो ! सिर्फ मेरे साथ ही रहा करो न, सिर्फ मेरे बनकर ! लेकिन कैसे संभव है ? राघव ने उसके माथे को प्रेम से चूमते हुए कहा ! अच्छा अब तुम अभी मेनका मैम के कमरे में जाओ नहीं तो वे तुम्हें सूंघती हुई यही आ जाएँगी और