कशिश - 25

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कशिश सीमा असीम (25) तन से ज्यादा उसका मन दर्द कर रहा था ! राघव ने उसके बाहर निकलते ही कमरे का दरवाजा बंद कर लिया ! ओहह यह कैसा प्रेम है जो उसे इतना दर्द दे रहा है उसे तकलीफ से भरे दे रहा है ! वो वहाँ से आ तो गयी थी लेकिन मन वही पर पड़ा रह गया था बेजान जिस्म वहाँ से चला आया था ! कमरे में मेनका मैडम अभी जग रही थी ! कहाँ चली गयी थी, इतनी देर से दरवाजा खुला पड़ा था ! पता नहीं क्यों, जी घबरा रहा था तो राघव