भाग-भाग कर बस स्टैंड पहुँच गया हूँ।रात को बारिश हुई थी।जल-थल हो रहा है।सत्तर से उपर की उम्र है।गलियों में अंधेरा था।पूरा दिखाई नहीं देता।किसी खड्डे में पांव पड़ गया।दुःख रहा है टखना!ग़नीमत है ज़्यादा चोट नहीं लगी।लग जाती तो किसने पूछने आना था!बूढ़ों से सारा संसार खफ़ा रहता है।खौफ़जदा भी।अपने किये का सिला न मांग लें।ज़िंदगी भर का मेहनताना!बेटे राह चलते देखकर भी मुंह फेर लेते हैं।जाने कौनसा कुसूर कर दिया है मैंने उनका।पढ़ाया,लिखाया!इस काबिल बनाया कि इज्ज़त से सिर उठाकर जी सकें।कभी पैसा-धेला नहीं मांगा!किसी इमदाद की उम्मीद नहीं रखी।सोचा, महंगाई है।ये क्या कम है,बेटे अपना और परिवार