कई बार कुछ कहानियाँ या उपन्यास अपनी भाषा...अपने कथ्य..अपनी रोचकता..अपनी तारतम्यता के बल पर आपको निशब्द कर देते हैं। उनको पूरा पढ़ने के बाद भी आप उसी कहानी..उसी परिवेश और उन्हीं पात्रों के साथ खुद को उसी माहौल में विचरता पाते हैं। ऐसा ही कुछ मेरे साथ इस बार हुआ जब मैंने नीलोत्पल मृणाल का उपन्यास "डार्क हॉर्स" पढ़ने के लिए उठाया।इस उपन्यास में कहानी है दिल्ली के एजुकेशन हब माने जाने वाले इलाके मुखर्जी नगर और उसके आसपास के सटे इलाकों की जहाँ पर पूरे साल देश भर से गाँव देहात के हज़ारों लाखों युवा कुछ कर दिखाने का