मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (5) मंगल ग्रह पर वापिस जाने से पहले मम्मी-पापा बड़े दादा जी के साथ उनके कमरे में चले गए थे - कुछ बातचीत करने के लिए. मेगा 325 भी कहीं इधर-उधर था. अब शशांक उस कमरे में अकेला था जहाँ पर उसके पापा का बैग रखा हुआ था. अचानक शशांक के दिमाग़ में आया कि अगर उस नए आविष्कार वाली शीशी से वह एकाध गोली निकाल ले तो कैसा रहेगा. शीशी में काफी सारी गोलियाँ थीं - यह बात तो उसे तब ही पता चल गई थी जब पापा ने कुछ देर पहले वह शीशी