मेगा 325 - 1

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मेगा 325 हरीश कुमार 'अमित' (1) ''वैरी-वैरी हैप्पी बर्थडे, बड़े दादू।'' कहते हुए शशांक ने दादा जी को जगाया. शशांक की आवाज़ सुनते ही बड़े दादा जी एकदम से उठ गए. ''वैरी-वैरी हैप्पी बर्थडे, बड़े दादू।'' शशांक ने अपनी बात दोहराई. बड़े दादा जी ने उठकर शशांक को गले से लगा लिया ओर कहने लगे, ''थैंक यू, वेरी मच, बेटा!'' ''बड़े दादू, वैसे तो हर सुबह आप मुझे जगाते हो, मगर आज मैंने पूरा प्रबन्ध किया हुआ था कि मैं सुबह पाँच बजे अपनेआप उठ जाऊँ. अपने दिमाग़ की प्रोग्रामिंग में सुबह पाँच बजे उठने की बात फीड कर दी