आघात - 27

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आघात डॉ. कविता त्यागी 27 स्टेशन पर जाकर पूजा एक प्रतीक्षालय के बाहर बैठ गयी, जहाँ ट्रेन आने की प्रतीक्षा में कुछ यात्री बैठे थे, कुछ लेटे थे तथा कुछ सो रहे थे । कुछ यात्री परस्पर बातें कर रहे थे कि उन्हें प्रतीक्षा करते-करते बारह घंटे हो चुके है ! कुछ कह रहे थे कि वे पिछले बीस घंटे से प्रतीक्षा कर रहे है। प्रतीक्षारत यात्रियों में से कुछ ने, जो अभी-अभी एक ट्रेन से उतरकर किसी दूसरी ट्रेन की प्रतीक्षा करने के लिए वहाँ पर आये थे, अपने सामान को खोलकर भोजन का डिब्बा निकाला और भोजन करने