आघात - 26

  • 5.4k
  • 1.3k

आघात डॉ. कविता त्यागी 26 अंधेरा हो गया था और बच्चे रोते रोते थक गये थे । सुधंशु तो रोते-रोते सोने लगा था। प्रियांश ने चिन्तित स्वर में माँ से पूछा - ‘‘मम्मी जी ! अब हम कहाँ रहेंगे ? हम सारी रात बाहर ही रहेगे ? हम सोएँगे कहाँ ? मम्मी जी, हम खाना कहाँ खायेगें ? बेटे के प्रश्नों से पूजा का हृदय कराह उठा । छोटा-सा बच्चा है और उसका नन्हा मस्तिष्क कितनी चिन्ताओं-प्रश्नों में डूबा है ! जिन्हें इस आयु में पिता के स्नेह और दुलार की आवश्यकता है, वे घर के बाहर खडे़ रो रहे