जड़ें ”इंडिया---इंडिया---कैसा होगा इंडिया|“ गुलशन ने बहते आँसुओं को पोंछते हुए अपनी नीग्रो आया से पूछा।”अच्छा, बहुत अच्छा।“ नीग्रो आया ने उसके आँसू पोंछकर चट-चट उसके दोनों गालों का चुंबन लिया।”मुझे वहाँ मत भेजो, मुझे अपने से अलग मत करो।“ कहती हुई अट्ठारह वर्ष की गुलशन आया के सीने से लग गई।”बेबी, तुम इंडिया नहीं ग्रेट ब्रिटेन जाओगी, वहाँ तुम्हारी जान को कोई ख़तरा नहीं है, फि़र जैसे ही यहाँ हालात ठीक हुए मैं तुम्हें ख़त डालकर बुला लूँगी।“ आया ने प्यार से पुचकारा, मगर वह जानती थी कि अब गुलशन का यहाँ लौटना नामुमकिन है।”सच कह रही हो न|“