दरमियाना - 17

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दरमियाना भाग - १७ खाना तार्इ अम्मा ने ही परोसा था। लगा कि वह सुलतान को खिलाने का आदेश देकर खुद गरम-गरम बनाने चली गर्इ थीं। एक माँ जैसी आत्मीयता या कहें कि वात्सल्य भी था... और शायद यही वह कारण था कि उनके बनाये खाने का स्वाद ही कुछ और था। मेरी माँ कहा करती थीं, ‘पाँच मसाले तो सभी डालते हैं खाने में, मगर जो दिल का छटा मसाला डाल दे -- तो उसके खाने में स्वाद अपने आप आ जाता है।’ यह छटा मसाला मैं कभी समझ नहीं पाया था। धीरे-धीरे जाना कि दिल से खिलाने की