दरमियाना भाग - १६ मुझे भी उस तक पहुँचने में सहायता मिल सकती थी, इसलिए मैंने भी मुस्कुराकर हामी भर दी। प्रेस वार्ताओं में भी शायद निकटता लाने के लिए इसी प्रकार के निमंत्रण हुआ करते हैं कि ‘चलिए, कुछ बातें बेतकल्लुफी के साथ हो जाएँ।’ सुनंदा के इस खूबसूरत आग्रह को मैं यूँ भी नकारना नहीं चाहता था। हालांकि मैं इस मामले में भी सतर्क रहता कि किसी अजनबी के साथ, इतनी जल्दी इन ‘लहरों’ पर सवार नहीं होना चाहिए।... पर, पता नहीं सुनंदा के मामले में यह सतर्कता कहाँ चली गर्इ। वह उठी और एक कबर्ड से रम