दरमियाना भाग - ११ दरअसल, इसके जर्मनी जाने की बात प्रताप गुरू को पता चल गई थी । वह नहीं चाहता था कि यह उसके हाथ से निकले । इसीलिए वह एक दिन अपनी मंडली के कुछ दरमियानों को साथ लेकर आया था ...और इसे किसी बातचीत के बहाने गाड़ी में बैठा लिया था । उस समय 21 हजार रूपये भी उसके पास थे । धीरे-धीरे इनकी बातचीत और गाड़ी चलती रही । रास्ते में कब इसे बेहोश कर दिया गया, कुछ पता ही नहीं चला । जब इसे होश आया, तो यह जालंधर छावनी के आसपास किसी बड़े-से नाले