बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 26 अचानक… और प्लेग हमसे नीचे वाला फ्लैट एस. बलवंत का था। हमारे फ्लैट के ऊपर इमारत की छत थी। यह छत हमने एक लाख रुपये देकर खरीदी थी। यहाँ हम बैठकर सर्दियों में धूप सेंका करते थे। नीचे से बलवंत की बेटी और पत्नी आ जाया करतीं। धूप में बैठकर हम मूंगफली टूंगती रहतीं। कभी कभी उनका नौकर भी सिगरेट पीने ऊपर छत पर आ जाता। चंदन साहब को यह बात पसंद नहीं थी। छत के पैसे हमने दिए थे और इस्तेमाल दूसरे भी कर रहे थे। उन्होंने वहाँ ताला