बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 25 अर्ली रिटायरमेंट मेरे लिए विवाहित जीवन का अर्थ था - भरपूर विवाहित जीवन। लेकिन मेरे विवाहित जीवन में बहुत कमी थी। एक बात अच्छी यह हुई थी कि मैंने अपनी भान्जी का विवाह अपने हाथों से किया था। मैंने माँ वाले सभी फर्ज़ निभाये थे और चंदन साहब ने पिता वाले। मेरी बड़ी बहन पटियाला में ब्याही हुई थी। मेरे से आयु में काफ़ी बड़ी थी और मेरी यह भान्जी आमतौर पर दिल्ली में ही मेरी माँ के पास रहा करती थी। चंदन साहब उसको बहुत पसंद करते थे इसीलिए