धैर्य

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मीनाक्षी अपनी तीसरी मंजिल के फ्लैट की बालकनी में कुर्सी पर बैठी नीचे पार्क को देख रही थी। एक भी बच्चा या बड़ा नजर नहीं आ रहा था। उसे अकेलेपन और बेबसी के कारण चिड़चिड़ाहट हो रही थी। पति को गुज़रे दो साल हो गए थे और बेटा चार महीने पहले ही पत्नी और दोनों बच्चों के साथ कंपनी की तरफ से विदेश चला गया था। अकेले रहने में अब तक उसे कोई परेशानी नहीं हुई थी। सोसाइटी के लोग आते जाते रहते थे। वह स्वयं भी नीचे जाकर बैठ जाती थी, रौनक देख कर मन बहल जाता था। लेकिन