जनाब सलीम लँगड़े और श्रीमती शीला देवी की जवानी (कहानी पंकज सुबीर) (2) श्रीमती शीला देवी के गौने के क़रीब दो महीने बाद ही घटनाक्रम शुरू होता है। सबसे पहले तो यह हुआ कि श्रीमती शीला देवी की माताजी अचानक खेत पर काम करते समय साँप काटने से चल बसीं। पत्थर वाले पीर के चबूतरे पर दिन भर झाड़ा-फूँकी होती रही। मगर कुछ न हो सका। साँप का ज़हर अपना काम कर गया। और श्रीमती शीला देवी का मायका स्त्री विहीन हो गया। मतलब यह कि अब घर के काम-काज करने की ज़िम्मेदारी चारों पुरुषों पर ही आ गई। एक