कादंबरी - प्रेमाविण व्यर्थ हे जीवन ..भाग-१

(18)
  • 20.7k
  • 2
  • 12.2k

क्रमशः कादंबरी – प्रेमाविण व्यर्थ हे जीवन ,, ले- अरुण वि.देशपांडे ------------------------------ ------------------------------ ------------------ वाचक मित्र हो ,कादंबरी लेखन हा वाचकप्रिय लेखन-प्रकार पहिल्यांदा मी सुरु केला तो मातृभारती -मराठीच्या माध्यामातून ..मातृभारतीवर माझी पहिली कादंबरी ..जिवलगा ..क्रमशा : सुरु आहे , १४ भाग प्रकाशित झाले आहेत ..या लेखनाला आपण खूप चांगला प्रतिसाद देता आहात ...त्याबद्दल खूप खूप आभार . मातृभारती मराठी टीमचे आभार ,त्यांच्यामुळे माझे कादंबरी -लेखन सुरु होऊ शकले आहे.. वाचक मित्रांनो ,तुमचे अभिप्राय आणि वाचन-प्रतिसाद असाच लाभत राहो. तुमचे मन:पूर्वक आभार ..स्नेहांकित -अरुण वि.देशपांडे -पुणे.९८५०१७७३४२ ------------------------------ ------------------------------ ------------------------------ ------------------------------ ------------------------------ -------------------- क्रमशः“ कादंबरी – प्रेमाविण व्यर्थ हे जीवन .. भाग- १ ला ------------------------------ ------------------------------ ------------------------------ ------------------------------ ------------------------------ ------ समोर