गौरीशंकर और श्याम के बीच की बातें सौभाग्यवती ने सुन ली थीं, रात्रि में भोजन के बाद सौभाग्यवती ने गौरीशंकर से कहा कि आपने कमल के लिए किवाड़ क्यो नही खोले, आपकी मनोदशा से मैं भली-भांति परिचित हूं, आपका प्रेम आपको पुकार रहा है और आप उसे अनदेखा, अनसुना कर रहे हैं,आपके हृदय में जो कमलनयनी के लिए अपार प्रेम है,वो मुझसे छुपा नहीं है और कमलनयनी ने आपके प्रेम में ही पड़कर इस गृह में आना शुरू किया था क्योंकि कमलनयनी के नयनों में जो प्रेम आपके लिए दिखता था वो पवित्र और शुद्ध था, आपने ऐसा क्यों किया,स्वामी!!