दिपाली अपनी मां के सत्तरवें जन्मदिन पर मिलने आई थी। मां उम्र के साथ सिकुड़ती जा रही थी, इतनी बड़ी कुर्सी पर बैठी छोटी सी बच्ची लग रही थी। छोटे-छोटे सफेद बाल, चेहरे और शरीर पर झुर्रियां, एक निश्चल और मासूम सी मुस्कान।दिपाली को मां कभी भी खूबसूरत नहीं लगी थी।ड्रेसिंग टेबल पर एक क्रीम, एक घिसी हुई सी लिपस्टिक, एक पाउडर का डिब्बा और शिल्पा की बिंदी के अलावा कुछ खास नहीं होता था। मंगोड़ी पापड़ बनाने,उधड़ा फटा सिलने और न जाने घर के अनगिनत काम , कभी समय ही नहीं मिलता। बाजार में घूम घूम कर लिपस्टिक के