फिर से - 5

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5 आसुओं ने डायरी के पन्नो को भिगो दिया था| रिया ने डायरी बंद की और सिसक सिसक कर रोने लगी| मन का वो बाँध जैसे टूट गया हो| पूरी रात नही सोई| खुद को कोसती रही के क्यूँ प्यार किया था नवीन को| क्यूँ औरों की तरह जिंदगी मे आगे नही बढ़ गयी| “रिया! रिया! बेटा उठो कितनी देर हो गयी| आज लेट हो गयी हो तुम| रिया?” माँ ने रिया के सिर पर से कंबल नीचे करते हुए कहा| “बेटा” माँ ने सिर पर हाथ फेरा| “अरे तुम्हे तो तेज़ बुखार है| उठो चलो डॉक्टर के पास जाना