इच्छा बचपन से ही एक अन्तरमुखी स्वाभाव वाली लड़की थी कुछ बचपन का परिवेश और कुछ पारिस्थितिक प्रदत कुंठाओ ने उसकी जिव्हा और कुछ हद तक दिमाग पर अधिकार कर रख्खा था अगर कुछ स्वच्छंदता थी तो उसकी कल्पनाशीलता और विचार शक्ति में क्योंकि यही वो दो चीजे हैं जितना हनन किया जाये यह उतनी ही उन्नत अवस्था प्राप्त कर लेती हैं. फोन लगातार बजे जा रहा है पर इच्छा की हिम्मत नही कर रही उसे उठाने की आखिर वह उठाकर बात क्या करती उसे तो कुछ भी पता नही था .शिवप्रशाद के बार-बार कहने पर वह फोन का रिसिवर