निगरानी

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निगरानी ट्रेन रवाना होने तक रमाकांत चिंतित थे । पूरी बोगी लगभग खाली, महिला यात्री तो एक भी नहीं। लेकिन उन्होंने बेटी सोनल के सामने अपनी चिंता प्रकट नहीं होने दी । दिलासा देते रहे मेरी बहादुर सोनल, तेरे दिल्ली पहुँचते तक मैं फोन पर तेरा इंतजार करता रहूँगा। ट्रेन ने प्लेटफार्म पार ही किया था कि वे चार अपनी सीट ढूंढते हुए उसकी सीट के सामने आ बैठे। तीन इस तरफ चौथा सामने। चारों ने सीट के नीचे अपने बैग, अटैचियाँ जमाईं और आराम से बैठ गए। उनके बीच खुद को अकेला पा सोनल को घबराहट हुई । वह