मरना भी एक कला है

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मरना भी एक कला है।भग्गू मरा तो पता चला।जैसे वह खामख्वाह जी रहा था वैसे ही एक दिन खामख्वाह मर गया।वरना मैंने इस तरह से आदमी मरते देखें हैं मानो किसी कला की सरंचना हुई हो।लोग पचास साठ बरस की उम्र तक ठीक ठाक माने सेहतयाब रहेंगे।खायेंगे,पिएंगे घूमेंगे टहलेंगे।खास खास मित्रों-रिश्तेदारों की शादियों में जाएंगे।थक कर लौटेंगे।उन दिनों सर्दी जा रही होगी।बसंत लौट रहा होगा।बच्चों को मास्टर जी सुबह की प्रार्थना में समझा रहे होंगे,"जनवरी जा चुकी है।फरवरी आ गई है।अब ज्यादा ठंड भी नहीं है।मीठा सुहाना मौसम है।मार्च में वार्षिक परीक्षा है।पढ़ाई की तरफ ध्यान दो।जिनका सिलेबस अभी तक