मैं आधा किसान और आधा मजदूर का बेटा हूँ

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मैं एक आधा किसान और आधा मजदूर का बेटा हूँमेरे पिता के पास दो बीघा समतल औरतीन बीघा उबड़-खाबड़ ज़मीन हैइनमें से कुछ चौरहा तो कुछ बटइआ की शर्तों परकिसी दूसरे किसान को दे दी गयी है वर्षों सेहर साल उपज जाते हैं कुछ अनाज जिससेमेरी दादी बना लेती है मोटी-मोटी रोटियाँकुछ अच्छे चावल को बेचकर खरीद लेती हैनमक-गुड़,जीरा-गोलकी और सौ ग्राम हुमाधबाकी बचे खुद्दी को बना लेती है गीला भातइतने में ही खत्म हो जाती है मेरे घर की किसानीशेष बचे हुए पिता रह जाते हैं एक मजदूरउनके पास मजदूरी के बखत पहनने कोदो कम दामों की कमीज और