कर्म पथ पर - 2

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Chapter 2मुंशी दीनदयाल खाने के बाद लेटे हुए आराम कर रहे थे। किंतु मन बेचैन था। अब अक्सर स्वास्थ खराब रहता था। उन्हें लगता था कि अधिक दिन जीवित नहीं रह पाएंगे। एक वर्ष पहले ही उन्होंने मुनीमतगिरी से आवकाश ग्रहण कर लिया था। अब सेठ जी के यहाँ से थोड़ी सी पेंशन मिलती थी। उसी से काम चलता था।उनकी चिंता का कारण धन नहीं था। थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी जिससे जीवन आराम से कट सकता था। उन्हें फिक्र थी अपनी बेटी वृंदा की। वह छोटी उम्र