डी एन ए' की गवाही

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' सुहानी की आँखों से नींद इतनी दूर जा बैठी है, कि वो बुला-बुला कर थक गयी है| पलकों में ऐसे कांटे से उग आये हैं कि आँखों को ढकना भी नामुमकिन हो गया है। एक पल दिल में आक्रोश का बवंडर उठता है तो दूसरे पल दुःख की घटाएँ आँखों में उमड़ आती हैं। हिलक- हिलक कर रो पड़ी सुहानी, क्यों उसी के साथ ये सब हुआ? आखिर उसकी जिंदगी उसकी उम्र की बाकि लड़कियों सी क्यों नहीं थी? क्यों उसका बचपन एक आम बचपन नहीं था? क्यों उसके पास अपनी सहेलियों की तरह अपना कमरा नहीं था? वह पूरा बचपन मॉम के पास सोती थी? क्यों उसे अपनी प्रिंसेस कहने वाला कोई नहीं ? क्यों उसकी ज़िंदगी में पिता का साया नहीं। पिता .....यानि पापा... ये शब्द कहने के लिए उसकी