काम हो गया है ...मार दो हथोड़ा "हैलो!…इज़ इट... 91 8076109496?”... "जी!..कहिये"... "सैटिंगानन्द महराज जी है?"… "हाँ जी!...बोल रहा हूँ..आप कौन?" "जी!…मैं..राजीव बोल रहा हूँ"… "कहाँ से?”… "मुँह से"... "वहाँ से तो सभी बोलते हैं...क्या आप कहीं और से भी बोलने में महारथ रखते हैं?"… "जी नहीं!...मेरा मतलब ये नहीं था"... "तो फिर क्या तात्पर्य था आपकी बात का?"... "दरअसल!...मैं कहना चाहता था कि मैं शालीमार बाग से बोल रहा हूँ".. "ओ.के…लेकिन आपको मेरा ये पर्सनल नम्बर कहाँ से मिला?”.. "जी!...दरअसल ..वाराणसी से लौटते समय श्री लौटाचन्द जी ने मुझे आपका ये नम्बर दिया था"… "अच्छा!...अच्छा...फोन करने का कोई खास