अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे भाग-12 संकट में प्राण सारा दिन हमारे जलपोत पर हलचल रही; किंतु दिन बीत गया। कोई विशेष बात या घटना के बिना। दिनभर की हलचल के बाद सभी लोग सोने चले गये। मैंने मित्र गेरिक से कहा कि वह भी दिनभर का थका हुआ है अत: विश्राम करे मैं यथासम्भव रात जागकर स्थिति पर नज़र रखूंगा और आवश्यकता होने पर सभी को जगा दूंगा। गेरिक ने मेरी ओर अर्थपूर्ण ढंग से देखा और सोने चला गया। मैंने अभियान प्रमुख से भी उनका सहायक बनने का प्रस्ताव रखा और प्रार्थना की कि वे विश्राम करें