एक नज़रिया मेरा भी

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“ जपटके पलटना ,पलटकर जपटना, लहू गर्म रखनेका हे एक बहना, परिंदो की दुनिया का दरवेश हु में, की शाही बनता नहीं आशियाँना।” उर्दू में लिखी गई यह पंक्ति युवानो में जोश भर देती हे, शाही यानी बाज़ जो शिकार मिले या फिर ना मिले वह उड़ना बंध नहीं करता“। जपटकर पलटना ,पलटकर जपटना...।” हमारे देशमें बाजों की संख्या बढ़ती जा रही हे, जी हाँ ,पर में उड़ाने वाले बाजों कीबात नहीं कर रहा हु ,जिससे आज तक बाज़भी डर रहा था, जी हाँ ,