कभी अलविदा न कहना डॉ वन्दना गुप्ता 6 घर पर एक अलग ही माहौल था। सोफे के कवर और पर्दे बदले जा चुके थे। किचन से आती खुशबू बता रही थी कि कोई खास मेहमान आने वाला है। मैं बेहद थकी हुई थी तो सीधे अपने कमरे में पहुँच गयी। फ्रेश होने के बाद मुझे बिस्तर पुकार रहा था, मन किया कि थोड़ा आराम कर लूं, किन्तु अंशु ने कहा कि अलका दीदी मुझे याद कर रही थीं, आखिर जब भी उन्हें कोई देखने आता था तो मैं ही उनके साथ होती थी, वे मुझसे हर बात शेयर करती थीं। "विशु! मैं